वही अहसास

 कहीं यादें जो ठहरी हैं 
हजारों उम्मीद बाँधी हैं 
बुलाता है सफर तुझको 
की तु ही मेरी मंजिल है 

कभी न दूर लगता है 
न बोझिल सा लगा मुझको 
जो राह तुझ तक जाती है 
बड़ी ही पास लगती है 

कहीं पर हो मिलन अपना 
हजारों याद बनती हैं
जो समय बीते तेरी बाँहों 
वही अपना सा लगता है 

कभी खुशबू तेरी बनकर 
सांसो में समाती हैं
लिपटकर एक हो जाना 
वही अमरत्व लगता है 

कभी उस देह पर कोई 
असर सा छोड़ जाती हैं
कोमलता जो तन मन की 
वही अहसास बचता है 

कभी हाथों की रेखाएं 
हथेली में समाती हैं 
मादकता लबों की जो 
वहीं मदहोश करती हैं

आ लग जा गले भर फिर
न छूटें हाथ हाथों से 
जब आत्मसात हो हम दोनों 
वही जीवन सा लगता है 

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