एक जहां

उम्मीदों का एक जहां है पास मेरे
बहती एक गंगा रमती है साथ मेरे
लाखों कंकर पत्थर आये अवरोधों के
आगोश लगाकर अमर कर गयी गीत मेरे

उम्मीदों की आस नही थी पास मेरे
जलधारा कोई नहीं समान्तर थी साथ मेरे
लाखों पतझङ खुश्क हुए आशाओं के
बसन्त सजाकर कोपल दे गयी ठूंठ मेरे

उम्मीदों की साख कहां थी पास मेरे
झूले मन के खाली झूले थे साथ मेरे 
लाखों बार टूटे हिंङोले विश्वासों के 
गले लागाकर घूम गयी एक शाम मेरे 

उम्मीदो की कलम कहानी पास मेरे
दूर सही एक रोशनी चलती साथ मेरे 
लाखों बार अन्धेरा छाया सब दिशाओं से
वो दीप पूंज सा अखण्ङ जला है ताप मेरे 

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