कुछ साल

 दिनों दिनों से मन में रहती 
बस तेरी खुमारी है 
कुछ यादों में तु रहता है 
कुछ मेरी तन्हाई है 

समय क्षणिक बचा रहा था 
फिर तु बरखा में भीगा है 
कुछ पास रही वो खुशबू तेरी 
कुछ तूने गले लगाया है 

सालों साल तका है चंदा 
फिर तु रोशन उजाला है 
कुछ शामों की मंदम लौ है 
कुछ तूने रूप निखारा है 

कड़की बिजली झंझावात की  
फिर तूने सबकुछ संभाला है 
कुछ तेरी अपनी जिम्मेदारी 
कुछ मेरा हक़ जाताना है 

समय डोर पर बंधे हुए हम 
जीवन रस्सा- कस्सी  है 
कुछ तेरा है पूर्ण समर्पण 
कुछ मेरा अधूरा रिश्ता है 

आ ! बसा मनों में निश्चय हो 
कुछ साल सुहाना जीवन हो 
कुछ तु मुझमे खोया हो 
और कुछ में तुझमे खोया हूँ 

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