जिद्द की हार

मनों में कौन क्या जाने 
परवाह हो कि न हो साथी 
बहानों की बरीयता
या कामों की लाचारी 
तेरा मन जानता तेरी 
मुझे स्नेह को  जीतना है 
आज जिद्द को हार जाने दे 

नहीं मिलना ये मजबूरी 
या सितम तेरा है ये साथी 
अपनों पर बरीयता 
या दूरी का सबब कोई 
तेरा मन जानता तेरी 
मुझे स्नेह को  जीतना है 
आज जिद्द को हार जाने दे 

पनपनी डर के साये में 
ये कोपल है तेरी साथी 
बरसो से जीया आधा 
अब संग्रह हाथ दे साथी 
तेरा मन जानता तेरी 
मुझे स्नेह को  जीतना है 
आज जिद्द को हार जाने दे
 
तू जीता है सदा मेरा 
मैं हारा हूँ सदा साथी 
तू दौड़ा है सदा आगे 
मैं पीछे भागता साथी 
तेरा मन जानता तेरी 
मुझे स्नेह को जीतना है 
आज जिद्द को हार जाने दे 

तुझी से कुछ समय माँगूं
समय मेरा तेरा साथी 
तेरी फैली सी दुनियां है 
मैं सिकुड़ता गांव हूँ साथी 
तेरा मन जानता तेरी 
मुझे स्नेह को जीतना है 
आज जिद्द को हार जाने दे 

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