शून्यता है जिंदगी

 एक हिसाब है जिंदगी 
जिसे न तु कर पायी 
न मैं कर पाया 
एक बहम है मन का 
न तु समझा पायी 
न मैं समझ पाया 

खाली से दरीबों में 
भटका है मन अक्सर 
न तु सजा पाया 
न मैं सजा पाया 

एक पहाड़ है जिंदगी 
न तु चढ़ पाया 
न मैं चढ़ पाया 
एक किताब है मन की 
न तु पढ़ पाया 
न मैं पढ़ पाया 

सूखी सी नदी में 
बहा है अक्सर 
न तु किनारे आ पाया 
न मैं पार कर पाया 

एक शून्यता है जिंदगी 
न तु भर पाया 
न मैं भर पाया 
एक आस है मन की 
न तु समझ पाया 
न मैं समझा पाया 


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