सफर तुझ तक

 तन्हा हूँ सफर साथी 
विचार-ओ-मन जले से हैं 
धधकती एक अग्नि है 
मुझे बरसात दे साकी
भीगा जिस भी राहों हूँ 
सफर तुझ तक ही जाता है 

मुश्किल से पहाड़ो पर 
रस्ते बन ही जायेंगे 
तुझसे हमसफ़र कोई 
राहों साथ होना है 
आशाओं का दामन तु
सफर तुझ तक ही जाता है 

तु ही वो नीर पावन है 
तु ही अग्नि हवन मुझको 
तु मन की एक मुक्ति  है 
तु ही अभिमान है साथी 
तृप्ति है समर जीवन तु 
सफर तुझ तक ही जाता है 

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