आखिरी

आखिरी एक उम्मीद है सफर जिन्दगी
या तु संग है या जीवन कहाँ अजनबी
उस सत्य की तलाश में हूँ जो शायद मेरा नही
मैं रोहताश नही जो ॠण तेरा उतार दूँ

उम्मीदों की अग्नि हूँ बन्धनों का फेरा भी
जलती हुई चिता हूँ स्नेह का हवन भी
नदी का ऊफान हूँ बच्चों की मुस्कान भी
मैं शकुन्लता का अभिशाप नही जो तुझे भुला दूँ

कविता में रचा बसा एक खोया संगीत हूँ
कहानी के विन्यास का एक अधूरा मर्म हूँ
सजती हुई चिता का आखिरी स्पर्श हूँ
मैं पदमावत का जौहर नही जो मुह मोड लूँ

उम्मीदों की साख पर झूला डाले हूँ मैं
सावन की शाम में धूप नैवेध्य लाये हूँ मैं
ठहरा हूँ जिस जगह बस तेरे इन्तजार में हूँ
मैं वो भाव नही जो तेरा होकर तुझसे दूर रहूँ

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