राम गीत

हम राम कहाँ हो सकते हैं
हमें राम राह दिखलायेगें 
शबरी के झूठे बैरों से
स्नेह अन्नत दिखलायेगें 

मुश्किल हो जिस जलधारा को
अनुनय विनय मनायेंगें 
केवट की साद तपस्या को
मान चरण धुलवायेंगें 

छूपकर पेडों के पीछे से 
अमर्यादा बाली  की तोडेगें 
गिलहरी ये यत्न प्रयत्नों को
इतिहासों में लिखवायेंगे 

वो मात पिता के बचनों को
जंगल जंगल भी निभायेगें 
देकर सीख जीवन की सब
वो सरयू में बह जायेगें 

हम राम कहाँ बन सकते हैं
हमें राम राह दिखलायेंगें

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